Wednesday, April 24, 2019

अक्षय-मोदी इंटरव्यू: 'ओबामा अंग्रेज़ी में मोदी को तू कैसे कहते होंगे'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़िल्म अभिनेता अक्षय कुमार को एक इंटरव्यू दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के ज़रिये देश के ज़्यादातर समाचार चैनलों पर 67 मिनट का यह इंटरव्यू प्रसारित किया गया.

प्रधानमंत्री आवास पर हुए इस इंटरव्यू में अक्षय ने नरेंद्र मोदी से उनकी दिनचर्या, खान-पान की आदतों, पसंद और बचपने के क़िस्सों पर सवाल पूछे हैं.

अक्षय ने इसे ग़ैर-राजनीतिक साक्षात्कार बताया है. इस पर प्रधानमंत्री ने भी इंटरव्यू के दौरान ही ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि चुनावी समय में वो एक ग़ैर-राजनीतिक साक्षात्कार दे रहे हैं.

सोशल मीडिया पर यह इंटरव्यू ट्रेंड कर रहा है. लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं, प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व की प्रशंसा कर रहे हैं, मज़ेदार टिप्पणियां कर रहे हैं और आलोचनाएं भी कर रहे हैं.

सोशल मीडिया पर कई लोगों का कहना है कि चुनावी समय में एक ग़ैर-राजनीतिक इंटरव्यू के भी राजनीतिक असर हो सकते हैं.

ट्विटर यूज़र वैशाली ने लिखा है, ''इस तरह मोदी ख़ुद का प्रचार करते हैं. ख़ुद का प्रचार करने का ये शर्मनाक तरीका है.''

शशांक ने कुछ ऐसा ही लिखा है. उन्होंने ट्वीट किया है, ''इस इंटरव्यू से बेहतर होता कि मोदी जी पर बनी फ़िल्म रिलीज़ कर दी जाती. चल क्या रहा है देश में भाई?''

अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री से इस तरह के सवाल भी पूछे हैं कि 'वो आम काटकर खाते हैं या गुठली के साथ' या 'ज़ुकाम होता है तो आप क्या लेते हैं?'

अक्षय ने जब उनसे पूछा कि क्या कभी उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बारे में सोचा था तो उन्होंने कहा, "कभी नहीं सोचा था. जिसका फ़ैमिली बैकग्राउंड हो उसके मन में इच्छा जगती हो तो सामान्य बात है. मैं जिस बैकग्राउंड से हूं. अगर मुझे कहीं सामान्य नौकरी भी मिल जाती तो मेरी मां पड़ोसियों को गुड़ खिला देती. तो मेरी दृष्टि से सब अप्राकृतिक रहा है."

सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी की भी चर्चा है जो उन्होंने अक्षय की पत्नी ट्विंकल खन्ना पर की. उन्होंने कहा, "मैं सोशल मीडिया ज़रूर देखता हूं, इससे मुझे बाहर क्या चल रहा है इसकी जानकारी मिलती है. मैं आपका भी और टविंकल खन्ना जी का भी ट्विटर देखता हूं और जिस तरह वो मुझ पर ग़ुस्सा निकालती हैं तो मैं समझता हूं कि इससे आपके परिवार में बहुत शांति रहती होगी."

इस पर टि्वंकल खन्ना ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा है, ''मैं इसे सकारात्मक तरीके से देखती हूं - प्रधानमंत्री ना केवल मेरे वजूद के बारे में जानते हैं बल्कि मेरा लिखा पढ़ते भी हैं.''

अक्षय ने उनसे यह भी पूछा कि इतने बड़े घर में आपको अपने परिवार को लाने का मन नहीं करता. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बहुत कम उम्र में सब कुछ छोड़ चुके हैं और 'उनकी ज़िंदग़ी डिटैच' हो चुकी है.

उन्होंने कहा, "एक बार मां को बुला लिया था मैंने. पर मां कहती हैं कि तुम मेरे पीछे क्यों परेशान होते है. मैं भी समय नहीं दे पाता था. रात को 12 बजे आता था तो मां को लगता था कि मैं क्या कर रहा हूं."

अक्षय ने प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या विपक्ष में उनके दोस्त हैं. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत दोस्त हैं और हम साल में कभी-कभी खाना-पीना भी करते हैं.

उन्होंने कहा, "एक पुरानी बात है, जब मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था. मैं और ग़ुलाम नबी गप्पे मार रहे थे. किसी ने कहा कि आप कैसे दोस्त हैं. तो ग़ुलाम नबी ने अच्छा जवाब दिया."

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि शायद आपको हैरानी होगी और शायद इस बात से मुझे चुनाव में नुकसान भी हो सकता है लेकिन ममता दीदी आज भी साल में एक-दो कुर्ते मुझे दे जाती हैं.

उन्होंने कहा, "बांग्लादेश दौरे पर प्रधानमंत्री शेख हसीना जी से बंगाली मिठाइयों की चर्चा हुई. तो आज भी वो ढाका से मुझे मिठाइयां भेज देती हैं. ममता दीदी को पता चला तो वो भी साल में कभी कभी मिठाई भेज देती हैं."

ट्विटर यूज़र साकेत रंजन ने इस पर लिखा है, ''ममता दीदी के भेजे कुर्ते नेशनलिस्ट हैं, लेकिन ममता दीदी एंटी-नेशनल हैं.''

इस इंटरव्यू की आलोचना करने वालों में शुमार ने लिखा है, ''इस इंटरव्यू में भक्तों को भले ही कुछ मिल जाए, जनता के मतलब का कुछ नया नहीं था.''

अपने काम करने के तरीक़े पर प्रधानमंत्री ने कहा, "सख्ती अनुशासन थोपने से नहीं आती. ह्यूमन रिसोर्स में ही मैंने ज़िंदगी खपाई है. आप झूठ बोलकर लंबे समय तक लोगों को प्रभावित भी नहीं कर सकते."

मोदी ने सुनाया चुटकुला
प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां तक ह्यूमर की बात है बचपन में वह कैसे भी माहौल को हल्का कर सकते थे. लेकिन अब उनके मुताबिक, "हर चीज़ का अलग अर्थ निकाला जाता है. इसलिए डर लगता है. सोशल मीडिया के बजाय, ये टीआरपी वाले ज़्यादा करते हैं."

उन्होंने कहा, "मेरी कैबेनिट मीटिंग में मैंने दोस्ताना माहौल रखा है. उन्हें चुटकुले सुनाता रहता हूं."

प्रधानमंत्री ने अक्षय कुमार को एक चुटकुला भी सुनाया. उन्होंने कहा, "एक बार हमारे यहां ट्रेन आई. ऊपर एक यात्री सोया हुआ था. उसने पूछा कि कौन सा स्टेशन है. किसी ने कहा कि चार आना दोगे तो जवाब दूंगा. वो बोला, जवाब की ज़रूरत नहीं है, अहमदाबाद ही होगा."

प्रधानमंत्री ने एक समाजवादी नेताओं पर भी एक चुटकुला सुनाया. उन्होंने कहा, "एक बार मैं पुणे स्टेशन पर उतरा. मैं पैदल जा रहा था. एक ऑटो रिक्शा वाला धीरे धीरे साथ चलने लगा. मैंने उससे पूछा तो वो बोला, आप बैठोगे नहीं क्या. आप समाजवादी नहीं हो? मैंने कहा नहीं मैं तो अहमदाबादी हूं. समाजवादी लोग दुनिया को दिखाने के लिए स्टेशन से उतरकर रिक्शा नहीं लेते थे, थोड़ी दूर जाकर लेते थे, ताकि लोगों को लगे कि मेहनत करते हैं. "

प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उनके साढ़े-तीन चार घंटे सोने की बात सही है. उन्होंने कहा, "मेरे जितने साथी हैं, उन सबका आग्रह यही रहता है है. ओबामा भी मिले तो इसी में उलझे कि क्यों ऐसा करते है. हम अच्छे दोस्त हैं वो मुझसे तू-तू करके बात करते हैं. वो बोले कि तू क्यों ऐसा करता है. पर पता नहीं कि मेरा बॉडी साइकल ऐसा हो गया है. मेरी नींद इतनी देर में पूरी हो जाती है. मैं आंखें नहीं मलता, शरीर अंगड़ाई नहीं लेता, उठते ही मेरा पांव ज़मीन पर पहुंच जाता है."

Thursday, April 18, 2019

मुसलमान हमारे अपने लोग हैं: साध्वी प्रज्ञा

भोपाल से भाजपा की प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव धमाकों में लगे आरोप पर फिर सफ़ाई दी है. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्होंने 'कोई कुकर्म नहीं किया जो मालेगांव का भूत हमेशा उनके पीछे लगा रहेगा'.

उन्होंने हिंदू धर्म को शांति का प्रतीक बताया और मुसलमानों को 'हमारे अपने लोग' कहा. उन्होंने 'हिंदू आतंकवाद' की धारणा को ख़ारिज करते हुए इसे कांग्रेस नेताओं के दिमाग़ की उपज बताया.

उन्होंने ये भी कहा कि यूपीए सरकार में गृह सचिव रहे और अब भाजपा नेता आरके सिंह की ओर से अतीत में 'हिंदू आतंकवाद' शब्द इस्तेमाल किए जाने की जानकारी उन्हें नहीं है.

29 सितंबर 2008 को महाराष्‍ट्र के मालेगांव में एक बाइक में लगाए गए दो बमों के फटने से सात लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सौ से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे.

साध्वी प्रज्ञा पर पहले महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) लगाया गया था लेकिन बाद में कोर्ट ने उसे हटा लिया और उन पर ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला चला.

साध्वी प्रज्ञा मालेगांव बम धमाकों के मामले में नौ साल तक जेल में रहीं और फ़िलहाल ज़मानत पर बाहर हैं. प्रज्ञा आरोप लगाती हैं कि तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उन्हें झूठे मामले में फंसाया है.

भाजपा ने उन्हें भोपाल से वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ चुनावी मैदान में उतारा है.

साध्वी की तरह रहने वाली प्रज्ञा गेरुआ वस्त्र पहनती हैं और 'हरिओम' उनका अभिवादन होता है. बीबीसी ने उनसे बात की तो पहले उन्होंने यही कहा कि 'मैं बात करूंगी लेकिन आप मुझे मैडम न कहें. साध्वी जी कहें.'

दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ भाजपा को अपने संगठन का कोई पुराना नेता नहीं मिला जो आपको उतारा गया. इसे आप कैसे देखती हैं?

आप क्या समझते हैं कि मुझे उतारना भाजपा की मजबूरी रही या मैं योग्य नहीं हूं?

भाजपा का काम समाज से चलता है. यहां एक परिवार को अधिकार नहीं है कि वही राजनीति करेगा. यहां जो योग्य है और जिसे अवसर मिलता है, वो चुनाव में खड़ा हो जाता है.

भाजपा ने आपसे संपर्क किया या आपकी ओर से किया गया?

नहीं ये तो प्रक्रिया थी. ऐसा तो नहीं है कि ये एकाध दिन की प्रक्रिया है. ये चलती है. किसने क्या किया ये तो मुझे याद नहीं है. पर संपर्क हुआ. निश्चित तौर पर योजनाएं तय होती हैं. समाज के समक्ष किसे नेतृत्व करना है, ये उनकी ओर से तय होता है.

अपने प्रति दिग्विजय सिंह के लिए कोई संदेश है आपका?

आज भी मैं यही कहूंगी. साधु-संन्यासी यही कहते हैं कि अधर्म का मार्ग छोड़कर धर्म का मार्ग पकड़िए. असत्य का मार्ग छोड़कर सत्य का मार्ग पकड़िए. बस इतना ही कहूंगी.

मैं स्वयं प्रत्यक्ष प्रमाण हूं इसका (लंबा विराम). उन्होंने जो षड्यंत्र किए उन षड्यंत्रों का और जो मैंने सहा है उनके षड्यंत्रों के कारण, मैं उसका प्रत्यक्ष प्रमाण हूं.

आप मालेगांव धमाका मामले की ओर इशारा कर रही हैं, जिसका ज़िक्र बार-बार होता है. आप अभी ज़मानत पर बाहर हैं. बरी नहीं हुई हैं. जब आप चुनाव में उतरेंगी तो इसका भूत आपका पीछा नहीं छोड़ेगा. आप पर एक दाग़ तो है ही.

मैं एक ही बात कहूंगी. मैं तो किसी भी प्रकार से, अंश मात्र भी, कोई हमारी कहीं लिप्तता नहीं है. फिर भी जो जेल में बैठ चुके हैं और जो अभी ज़मानत पर हैं, कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सभी ज़मानत पर हैं. हम तो इन्हीं के द्वारा प्रताड़ित हैं, हम तो इन्हीं के द्वारा डाले गए हैं. ये तो षड्यंत्र करके ही ऐसा किया उन्होंने.

पीछा छोड़ने का अर्थ ये नहीं है कि मैंने कोई कुकर्म या दुष्कर्म किया है, जिसके कारण मेरे पीछे कुछ लगा हुआ है. बल्कि इनके कुकर्म को हम भोग रहे हैं. न मैंने कोई भ्रष्टाचार किया है, न कोई अनाचार किया है. न कोई घपला किया है और न देश के विरुद्ध बोला है.

लेकिन आपकी छवि हिंदू अतिवाद की है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. और इसकी आलोचना दिग्विजय सिंह लगातार करते रहे. आपके आने से लोग कह रहे हैं कि भोपाल की सीट पर धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण होगा.

मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूंगी कि जो इन्होंने हिंदुत्व की परिभाषा दी है, कभी उन्होंने हिंदुत्व को आतंकवादी कह दिया, कभी सॉफ्ट हिंदुत्व कह दिया, कभी कट्टर कह दिया. लेकिन हिंदुत्व का चिंतन कितना व्यापक है, वो एक श्लोक से ही प्रकट होता है- 'वसुधैव कुटुम्बकम.' 'सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामय:' इतनी बड़ी सोच, इतना बड़ा चिंतन, इतना वृहद हमारा धर्म है कि उसमें कहीं कट्टर या सॉफ्ट जैसी चीज़ें नहीं आतीं.

हिंदुत्व पूरी पृथ्वी पर सुखमय जीवन देखना चाहता है. पृथ्वी ही क्या हमारे यहां तो सब जगह शांति का संदेश दिया गया है. (इसके बाद वह शांति पाठ पढ़ने लगती हैं.)

आपने वसुधैव कुटुम्बकम का ज़िक्र किया, अक्सर संघ परिवार भी इसका ज़िक्र करता है. इसका अर्थ है कि पूरा विश्व ही हमारा परिवार है. तो क्या इस परिवार में मुसलमान शामिल नहीं हैं?

मुसलमान कहां से आए? भारत में जो हिंदू हैं, वे कन्वर्टेड लोग हैं. सनातन से निकले लोग हैं. देश-काल-परिस्थिति के अनुसार इनके पूर्वजों ने या वर्तमान में किसी न किसी कारण से उन्होंने अपना धर्म छोड़ दिया. तो वो कहीं से थोड़े ही आए हैं, वे हमारे लोग हैं.

इस भारत का खाते हैं, पीते हैं, सोते हैं. उनके भी कर्तव्य हैं देश के लिए. जैसे हम संतान हैं देश की, ऐसे ही वे भी संतान हैं. हम क्यों ऐसा कहेंगे कि वे अलग हैं और हम अलग हैं. जब हमारी संस्कृति ऐसी है कि हम सबको आत्मसात करते हैं. भारत ही है, जहां सब समा जाते हैं. लेकिन बताइए कोई और ऐसा देश है जहां कोई देश में रहकर देश के विरुद्ध बात कर सकता हो.

Wednesday, April 10, 2019

西藏精神领袖达赖喇嘛因胸腔感染入院

流亡印度的西藏精神领袖达赖喇嘛被送入印度首都德里的一所医院检查——他被指胸腔受到感染,消息指目前情况稳定。

他的私人秘书丹增塔拉(Tenzin Taklha)表示,达赖喇嘛感到身体不适之后,被飞机从他居住的一个小镇送往德里。

这名83岁的西藏流亡精神领袖在60年前曾经试图推翻中国对西藏的统治失败,之后流亡至印度。

曾经获颁诺贝尔和平奖的达赖喇嘛多年来一直是在多地受到欢迎的演讲者,但是近来他出席的公开活动有所减少。

路透社引述丹增塔拉表示:“医生已经诊断他为胸腔感染,他正接受治疗。他的情况现在稳定了,还会在这里治疗两到三天。”

中国在1950年取得了西藏地区的控制权,之后一直视达赖喇嘛为危险的分裂分子。

而近年随着达赖喇嘛年事渐高,谁将继承他的位置成为了一个备受关注和议论的话题。

在藏传佛教信仰当中,达赖活佛的灵魂会在死后转世到一名新生的儿童身上。

中国表示,北京方面有权利选择达赖的继承人。不过在上月,达赖喇嘛重申,中国提名的任何西藏领袖都不会被西藏人接受。

他当时向路透社表示,如果将来出现两个达赖,一个来自“自由国家”,一个由中国选定,没有人会尊重后者。

“中国人届时就会又多了一个麻烦。这种情况是可能发生的,”他说。

中国外交部当时则以“权威答复”回应指,中国政府尊重和保护藏传佛教的传承方式。

中国外交部发言人耿爽当时称:“达赖喇嘛活佛转世系统已经有几百年的历史,第十四世达赖本人也是按照宗教仪轨和历史定制寻访认定,报请当时的中央政府批准继位的。”

Tuesday, April 2, 2019

外交部回应“大陆战机飞越台海中线”:非外交问题

  中新网客户端4月2日电 在今日的外交部例行记者会上,发言人耿爽在被问及“大陆战机飞越台海中线”时表示,“这不算是外交问题,所以我把它留给国台办的同事去回应。”

  4月2日,耿爽主持例行记者会,有媒体就大陆战机飞越台湾海峡“中线”,以及台湾地区领导人、美国政府官员对此的言论提问。耿爽表示,关于大陆军机飞越台湾海峡中线的问题,建议记者向有关部门询问。

  他说:“关于媒体报道的解放军战机飞越台湾海峡‘中线’问题,台湾当局领导人就此作了一通表态,也发了推特。她的胡言乱语、狂言妄语实在令人气愤,但毕竟不算是外交问题,所以我把它留给我国台办的同事去回应。”

  “对于美方的表态,我在这里必须要说几句。”耿爽进一步指出,中方在台湾问题上的立场是一贯的、明确的。美方当初单方面搞的所谓“与台湾关系法”与国际关系基本准则和中美三个联合公报完全背道而驰,中方从一开始就坚决反对。我们敦促美方有关人士恪守一个中国原则和中美三个联合公报规定,多做有利于中美关系和促进台海和平稳定的事,而不是相反。

  北京市政协原党组副书记、副主席李士祥涉嫌受贿一案,由国家监察委员会调查终结,经最高人民检察院指定,由吉林省长春市人民检察院审查起诉。近日,长春市人民检察院已向长春市中级人民法院提起公诉。检察机关起诉指控:被告人李士祥利用担任北京市朝阳区区长、中共北京市朝阳区委书记、北京市委常委、秘书长、副市长等职务上的便利和职权、地位形成的便利条件,为他人谋取利益,非法收受他人财物,数额特别巨大,依法应当以受贿罪追究其刑事责任。

  河南省政协原党组副书记、副主席靳绥东涉嫌受贿一案,由国家监察委员会调查终结,经最高人民检察院指定,由山东省济南市人民检察院审查起诉。近日,济南市人民检察院已向济南市中级人民法院提起公诉。检察机关起诉指控:被告人靳绥东利用担任河南省安阳市副市长、市长、中共安阳市委书记、河南省政协副主席等职务上的便利,为他人谋取利益,索取、非法收受他人财物,数额特别巨大,依法应当以受贿罪追究其刑事责任。

  对以上案件,检察机关在审查起诉阶段,分别依法告知了被告人享有的诉讼权利,讯问了被告人,听取了辩护人的意见,依法保障了被告人各项诉讼权利。

  中新网4月2日电 据最高检官方微信消息,国家发展改革委原党组成员、副主任,国家能源局原党组书记、局长努尔·白克力涉嫌受贿一案,由国家监察委员会调查终结,移送检察机关审查起诉。日前,最高人民检察院依法以涉嫌受贿罪对努尔·白克力作出逮捕决定。该案正在进一步办理中。

比利时媒体称从中国采购的口罩不达标?中使馆回应

  中新网4月10日电 据中国驻比利时 欧盟财长们已 色情性&肛交集合 同意向遭受新冠 色情性&肛交集合 病毒大流行打击的欧洲国家提供 色情性&肛交集合 5000亿欧元 色情性&肛交集合 (4400亿英镑;  色情性&肛交集合 5460亿美元) 色情性&肛交集合 的救助。 ...