Monday, January 28, 2019

राहुल ने कहा- ऑडियो क्लिप गलत थी तो एफआईआर क्यों नहीं हुई, पर्रिकर के पास गोपनीय दस्तावेज

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। राहुल ने ट्वीट किया, ''राफेल मामले में गोवा में 30 दिन पहले ऑडियो टेप जारी हुआ था। इस मामले में अब तक कोई एफआईआर या जांच के आदेश नहीं दिए गए और न ही मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की गई।''

कांग्रेस ने 2 जनवरी को ऑडियो क्लिप जारी की थी
कांग्रेस ने 2 जनवरी को राफेल डील मामले में एक ऑडियो क्लिप जारी की थी। कांग्रेस का दावा था कि यह क्लिप गोवा सरकार के मंत्री विश्वजीत राणे का था। कांग्रेस के मुताबिक, क्लिप में राणे किसी शख्स को बता रहे हैं कि राफेल से जुड़ी सारी फाइलें पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकल के बेडरूम में मौजूद हैं।

राणे से जुड़ी एक खबर को री-ट्वीट करते हुए राहुल ने लिखा, ''यह तय है कि ऑडियो टेप असली है। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के पास राफेल पर धमाकेदार गोपनीय जानकारियां हैं, जो प्रधानमंत्री के मुकाबले उनको ताकतवर बनाती है।’’

ऑडियो क्लिप जारी होने के बाद विश्वजीत राणे ने सफाई भी दी थी। उन्होंने कहा था, "मैंने इस मामले पर कभी किसी से कोई बात नहीं की है। मैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुआ, इसीलिए मुझे निशाना बनाया जा रहा है।"

उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में सोमवार को एयरफोर्स का जगुआर विमान क्रैश हो गया। यहां के हेतिमपुर गांव में एक खेत में विमान गिर गया। इसके बाद इसमें आग लग गई। हालांकि, विमान के पायलट ने पैराशूट की मदद से अपनी जान बचा ली। बताया जा रहा है कि विमान ने गोरखपुर एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरी थी।

उड़ान भरने के 10 मिनट बाद ही टूटा संपर्क
गोरखपुर स्टेशन से उड़ान भरने के 10 मिनट बाद ही जगुआर का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था। विमान नियमित उड़ान पर था। मौके पर एयरफोर्स के दो हेलिकॉप्टर भी पहुंच गए। एयरफोर्स ने जांच के आदेश दे दिए।

एक साल में तीसरी बार क्रैश हुआ जगुआर

एक साल में यह तीसरा हादसा है, देश में जगुआर विमान क्रैश हुआ। इससे पहले जून 2018 में गुजरात के कच्छ और अहमदाबाद में भी विमान हादसे हुए थे। कच्छ में हुए हादसे में पायलट की मौत हो गई थी। दो इंजन वाले जगुआर को 1979 में भारतीय एयरफोर्स में शामिल किया गया।

सर्जिकल स्ट्राइल के थीम पर बनी फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक लगातार सुर्खियां बटोरी रही है. देशभक्ति से लबरेज ये फिल्म युवाओं को लगातार पसंद आ रही है. यही नहीं, राजनीतिक गलियारों में भी ये फिल्म नेताओं की पसंदीदा बन रही है. पीएम मोदी कलाकारों से मुलाकात के दौरान इस फिल्म का डॉयलॉग बोल चुके हैं. अब केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी के लोगों के लिए इस फिल्म को दिखाने की व्यवस्था की है. अमेठी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है. केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी में लगातार सक्रिय हैं.

Thursday, January 17, 2019

डेढ़ करोड़ की लॉटरी निकली लेकिन फिर क्या हुआ?

ज़िला गुरदासपुर के दीनानगर के पास गांव चुर चक के रहने वाले मोहन लाल की पिछले साल नवंबर में 1.5 करोड़ की लॉटरी लगी थी, लेकिन काग़ज़ी कार्रवाई के कारण पुरस्कार राशि अब तक नहीं मिली है.

मोहन लाल लोहे की अलमारियाँ बनाते हैं. मोहन लाल पंजाब सरकार के दिवाली बम्पर 2018 के पहले पुरस्कार के विजेता हैं.

मोहन लाल का कहना है कि उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त हुई है. मोहन लाल लगभग 12 वर्षों से पंजाब सरकार की बम्पर लॉटरी ख़रीद रहे थे और हर साल यह आशा करते थे कि शायद भाग्य बदल जाएगा.

आख़िर यह सच हो गया, जब मोहन लाल ने गुरदासपुर बेदी लॉटरी स्टाल से 2 अलग-अलग टिकटें ख़रीदीं और उनमें से एक टिकट को पहला पुरस्कार मिला, जो 1.5 करोड़ का था.

मोहन लाल बताते हैं, "मैं कड़ी मेहनत करता हूं और लोहे की अलमारियाँ बनाता हूं. कई साल पहले काम सही था लेकिन अब काम के हालात अच्छे नहीं हैं. कभी-कभी दुकानें काम करने में सक्षम होती हैं और कभी-कभी उन्हें भुगतान करना पड़ता है, और एक महीने के लिए कड़ी मेहनत करके केवल 10 से 12 हज़ार रुपये एकत्र किए जाते हैं."

गुरदासपुर के पुराने सिविल अस्पताल के पास छोटी सी दुकान 'बेदी लॉटरी स्टाल' पर 2018 में दिवाली बम्पर के पहले पुरस्कार के विजेता मोहन लाल की तस्वीरें पूरी हो गई हैं.

दिलचस्प बात यह है कि लॉटरी विक्रेता का नाम भी मोहन लाल है.

लॉटरी स्टाल के मालिक मोहन लाल ने कहा, "लॉटरी टिकट जमा किया गया है और दाता का भुगतान करने का समय 90 दिन है, लेकिन मामला लंबा होता जा रहा है. पुरस्कार विजेता मोहन लाल के पास पैन कार्ड नहीं था, पैन कार्ड में देरी हुई और विभाग के साथ देरी हुई जिससे इनाम में देरी हो रही है.

मोहनलाल की पत्नी सुनीता देवी का कहना है कि जैसे ही उन्हें पता चला कि उनका पहला पुरस्कार निकला है, हम उत्साहित हो गए कि मालिक ने हमें एक एहसान दिया है.

सुनीता कहती है कि वह जहाँ भी जाती है, सब उसे करोड़पत्नी कहते हैं.

वहीं, सुनीता को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें पुरस्कार राशि मिलेगी जिससे स्थिति में सुधार हो सकता है और सुनीता का कहना है की जब पैसे आएंगे, तो सबसे पहले हम एक नया घर बनाएंगे.

सुनीता और मोहन लाल की दो बेटियां हैं, एक 11 साल की है और दूसरी बेटी 5 साल की है.

वो इस धनराशि से दो बेटियों के भविष्य की रक्षा करना चाहते हैं. मोहन लाल अपना खुद का एक छोटा सा कारोबार शुरू करना चाहते हैं जिसके लिए लॉटरी के पैसे का इंतज़ार कर रहे हैं.

Wednesday, January 9, 2019

सामान्य वर्ग को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का बिल राज्यसभा में पास

सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन संबंधी विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया है.

यह बिल जिस तरह से मंगलवार को लोकसभा में लगभग सर्वसम्मति से पारित हुआ था, उसी तरह से राज्यसभा में यह बिल आसानी से पारित हो गया.

राज्यसभा में इस बिल के समर्थन में कुल 165 मत पड़े जबकि सात लोगों ने इसका विरोध किया. इस बिल पर साढ़े दस घंटे तक पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने चर्चा की.

इस बिल में संशोधन के तमाम प्रस्ताव गिर गए, यानी ये बिल उसी रूप में पारित हुआ है, जिस रूप में सरकार ने इसे पेश किया था.

वहीं, कल लोकसभा में बिल पारित होने के बाद जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किए थे. वैसे ही उन्होंने राज्यसभा से बिल पास होने के बाद भी तीन ट्वीट किए.

उन्होंने पहले ट्वीट में लिखा, "वह प्रसन्न हैं कि राज्यसभा ने संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 पास कर दिया. इस विधेयक का व्यापक समर्थन देखकर वह ख़ुश हैं. सदन ने एक जीवंत बहस को देखा जहां कई सदस्यों ने अपनी राय व्यक्त की."

इसके बाद किए गए ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि दोनों सदनों से इस बिल का पास होना सामाजिक न्याय की जीत है. साथ ही उन्होंने लिखा कि यह देश की युवा शक्ति को अपना कौशल दिखाने में एक व्यापक अवसर देगा.

तीसरे ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बिल के पास होने को संविधान निर्माताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए श्रद्धांजलि बताया है. उनका कहना है कि वे लोग ऐसे भारत की कल्पना करते थे जो मज़बूत और समावेशी हो.

राज्य सभा से विधेयक को पारित करवाने के लिए सत्र का कार्यकाल एक दिन बढ़ाया गया था.

बुधवार को बिल पेश किए जाने के बाद विपक्ष ने ज़ोरदार हंगामा किया जिसके बाद सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था. दोपहर बाद दोबारा चर्चा शुरू हुई.

शुरुआत बीजेपी सांसद प्रभात झा ने की. उनके बाद राज्य सभा में कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा और फिर बारी-बारी से विभिन्न दलों के सांसदों ने संसद में बिल पर अपनी बातें रखीं.

बहुजन समाज पार्टी के सतीश मिश्रा ने इस बिल का स्वागत किया है. लेकिन उन्होंने इस बिल पर सवाल भी उठाए हैं.

सतीश मिश्रा के भाषण की मुख्य बातें-

रिज़वर्शेन इन प्रमोशन बिल किस हाल में है, पांच साल में सरकार ने इस पर कुछ नहीं किया है.
संविधान में संशोधन करके पिछड़े और दलितों की संख्या को आबादी के हिसाब से आरक्षण कब देंगे, ये बताइए.
ये आरक्षण क्या वाक़ई में ग़रीब सवर्णों के लिए है, सरकार का क्राइटेरिया क्या है, आपने कह दिया कि राज्य सरकार प्रावधान करेगी. इसे अमीरों के लिए मत बनाइए, ग़रीबों के लिए बनाइए, बिल में सुधार लाइए.
सरकार कह रही है कि अंतिम बॉल पर छक्का लगाया है, लेकिन मैं कह रहा हूं कि गेंद बाउंड्री के पार नहीं जाएगी. आपको आउट होना ही है.
सरकार के पास नौकरियां नहीं हैं, लेकिन सरकार करोड़ों लोगों को नौकरी देने का वादा कर रही है. ये सरकार छलावा कर रही है.
कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने इस बहस में कहा-

सरकार को जल्दी क्यों है, ये वही जानते हैं.
बिल लाने के लिए सरकार ने क्या कोई डेटा कलेक्ट किया है.
मंडल कमीशन के बिल को पास करने में दस साल लगे थे, अभी सरकार संविधान में संशोधन एक दिन में करने जा रही है.
हिंदुस्तान में कितने लोगों के पास 5 एकड़ ज़मीन है, इसका क्या कोई डेटा सरकार ने जमा किया है.
आठ लाख से कम वाला ग़रीब माना जा रहा है, दूसरी ओर 2.5 लाख से ज़्यादा आमदनी वाले को टैक्स देना पड़ रहा है, सरकार टैक्स में छूट की सीमा 8 लाख रुपये सालाना क्यों नहीं कर रही है.
हम लोग आरक्षण पर बहस कर रहे हैं, लेकिन देश में नौकरियों पर बहस की ज़रूरत है. सरकारी और निजी कंपनियों में नौकरियां लगातार कम हो रही हैं.
बिना किसी तैयारी और प्रावधान के इसे लागू करने पर नोटबंदी जैसा हाल होगा इस प्रावधान का.

बीजेपी के रविशंकर प्रसाद ने इस बहस में बोलते हुए कहा-

ज़्यादातर लोगों ने समर्थन किया है.
इस सदन के अधिकार के बारे में कुछ सदस्यों को आशंका क्यों है, हम संसद हैं, हमें क़ानून बनाने और संविधान में संशोधन का अधिकार है.
मूलभूत अधिकार में बदलाव के लिए राज्यों की विधानसभा के पास जाने की ज़रूरत नहीं है. ऐसा संविधान की धारा 368 में कहा गया है.
आरक्षण की सीमा 50 फ़ीसदी संविधान में कहीं नहीं है, ये सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में आया है.
हम संविधान की धारा 15 में इकोनॉमिक वीकर सेक्शन को जगह दे रहे हैं. नौकरियों में आरक्षण दे रहे हैं.
इस प्रावधान के लिए ओबीसी और एससी-एसटी आरक्षण के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
सपा के सांसद राम गोपाल यादव के भाषण की मुख्य बातेंः

नौकरियों में आरक्षण बहुत बड़ी बात नहीं रह गई है क्योंकि नौकरियां हैं ही नहीं. नोटबंदी ने तो नौकरियां लोगों से छीनने का काम किया. पहले मज़दूर नहीं मिलते थे लेकिन अब एक मज़दूर के लिए जाइए तो चार लोग साथ आते हैं.
हमने देखा है ये ऊंच-नीच की भावना देश में धंसी हुई है. हालांकि धीरे-धीरे ये कम हो रही है लेकिन ख़त्म नहीं हुई. एक बार बाबू जगजीवन राम बनारस गए तो लोगों ने उस तस्वीर को गंगाजल से धोया जिस पर उन्होंने माल्यार्पण किया था. अभी भी दलित किसी ऊंची जाति के घर के सामने से घोड़ी से सवार होकर जाता है तो उसका अपमान और मारपीट की जाती है.

Wednesday, January 2, 2019

मेघालयः तीन हफ़्ते से खदान में फँसे मज़दूर, घरवालों को चमत्कार का इंतज़ारः ग्राउंड रिपोर्ट

मैं बीते दो हफ्तों से अपने भांजों के इंतज़ार में यहां कोयला खदान के बाहर बैठा हुआ हूं. लेकिन पता नहीं वो ज़िंदा हैं भी या नहीं...."

22 साल के प्रेसमेकी दखार कोयले की खदान में फंसे अपने भांजों को याद कर भावुक हो जाते हैं.

"एनडीआरएफ़ के लोग इतने दिनों से यहां काम कर रहें है लेकिन किसी ने हमें नहीं बताया कि डिमोंमे और मेलामबोक को कब तक बाहर निकाला जाएगा."

मेघालय की अंधेरी, पानी से भरी और बेहद संकरी एक खदान में बीते 13 दिसंबर से 15 मज़दूर फंसे हुए हुए हैं.

दरअसल, ईसाई बहुल मेघालय में क्रिसमस से ठीक पहले लुमथरी गांव के ये दोनों युवक इस खदान में काम करने गए थे.

लेकिन 370 फ़ीट से भी ज़्यादा गहरी इस खदान में अचानक पानी भर आने से अंदर काम कर रहे सभी मज़दूर खदान में ही फंस गए.

हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा और बादलों का घर कहा जाने वाला मेघालय एक ख़ूबसूरत राज्य है, मगर अवैज्ञानिक और ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से जारी कोयला खनन और मज़दूरों की मौत की घटनाएं मेघालय को बदनाम कर रही हैं.

इस हादसे को लेकर परेशान प्रेसमेकी कहते हैं, "इलाके में बेरोज़गार युवकों की एक बड़ी आबादी है. जिनके पास कोयले की खदान में काम करने के अलावा और दूसरा विकल्प नहीं है क्योंकि खेती के काम में न इतनी कमाई है और न ही सबके पास उतनी ज़मीन है."

क्या उनको या फिर परिवार के लोगों को डिमोंमे और मेलामबोक के ज़िंदा बचने की उम्मीद है - ये पूछने पर वे कहते हैं, "इस घटना के 15 दिनों के बाद भी हमें लग रहा था कि मेरे दोनों भांजे जीवित बाहर आ जाएंगे. लेकिन जब भारतीय नौ सेना के गोताखोर पानी के अंदर जाकर कुछ भी तलाश नही सके तो हमारी उम्मीदें टूटने लगी हैं. कोई भला 20 दिन तक ऐसी ख़तरनाक अंधेरी खदान में कैसे ज़िंदा रह सकेगा. अगर ईश्वर कोई चमत्कार कर दे तो ही ये संभव होगा."

मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स ज़िले के जिस कोयला खदान में ये हादसा हुआ है, वहां तक पहुंचना आसान नहीं है.

जोवाई-बदरपुर नेशनल हाइवे से होते हुए मैं खलिरियाट तक तो पहुंच गया था लेकिन इसके आगे का सफर बेहद मुश्किल था.

दरअसल खलिरियाट से आगे क़रीब 35 किलो मीटर गाड़ी से पहुंचने के बाद लुमथरी गांव के पास खलो रिंगसन नामक इलाक़े में इस कोयला खदान तक पहुंचने के लिए टूटे फूटे पहाड़ी रास्ते और तीन छोटी-छोटी नदियों को पार करना पड़ता है.

比利时媒体称从中国采购的口罩不达标?中使馆回应

  中新网4月10日电 据中国驻比利时 欧盟财长们已 色情性&肛交集合 同意向遭受新冠 色情性&肛交集合 病毒大流行打击的欧洲国家提供 色情性&肛交集合 5000亿欧元 色情性&肛交集合 (4400亿英镑;  色情性&肛交集合 5460亿美元) 色情性&肛交集合 的救助。 ...